किडनी की बीमारी में क्रोनिक किडनी डिजीज सबसे खतरनाक बीमारी है क्योंकि इस बीमारी को खत्म करने वाली कोई दवाई नहीं है पिछले कई सालो में इसमें तेज़ी आई है। इस डिजीज में किडनी ख़राब काफी धीमे गति से होती है जिससे मरीज को पता नहीं चल पाता है अगर सीरम क्रिएटिनिन का लेवल बढ़ता है तो ब्लड टेस्ट से इस बीमारी का पता लगाया जाता है।
इस क्रोनिक किडनी डिजीज में कई लक्षण देखने को मिलएंगे जैसे की शरीर में थकान महसूस करना, तनाव में रहना, भूख ना लगना, सोने में परेशानी, muscle में ऐंठन आना,सूजन पैर और हांथो में आना, त्वचा में सुखी खुजली त्वचा आदि।
ज्यादातर क्रोनिक किडनी डिजीज मरीज डायलिसिस को चुनते है ज्यादातर लोग डायलिसिस कराने के बाद बेहतर महसूस करते है क्योंकि इसमें अपशिष्ट पदार्थ को दवाइयों के जरिये ब्लड से निकाल दिया जाता है। डायलिसिस का इलाज दो तरह का होता है।
हेमोडायलसिस – यह इलाज अक्सर किडनी के डॉक्टर की देखरेख में करना होता है एक डायलसिस मशीन एक मानव निर्मित झल्ली के जरिये से मरीज के खून की छोटी मात्रा को हटा दिया जाता है जिसे डायलाज़र कहा जाता है या बनावटी किडनी भी कहा जाता है
पेरिटोनियल डायलिसिस – हेमोडायलसिस के विपरीत यह इलाज नाभि के निचे ओपरेशन के जरिये नलिका डाली जाती है और उसके जरिये साफ़ खून शरीर में डाला जाता है
इसी तरह क्रोनिक किडनी डिजीज के मरीज किडनी ट्रांसप्लांट को भी अपने इलाज के रूप में देखते है
अगर हम बात करे किडनी ट्रांसप्लांट की तो हम यही कहएँगे की यह किडनी फेलियर से बचने का एकमात्र इलाज नहीं हो सकता है क्योंकि किडनी डिजीज ट्रांसप्लांट के बाद भी किडनी की समस्या बनी रहती है। जिसकी वजह से किडनी के मरीज की समस्या से निदान नहीं पा पाते और अन्य बीमारियों के भी शिकार हो जाते है जैसे की मानसिक तनाव।
क्रोनिक किडनी डिजीज डाइट और आयुर्वेदिक दवाइयां
ऐसे में हम आपको किडनी डिजीज के इलाज के लिए आयुर्वेदिक इलाज की सलाह देते है। किडनी ख़राब होने पर आयुर्वेदिक जड़ी बूटिया सबसे अधिक फायदेमंद होती है इसमें आप आयुर्वेदिक दवाइयों का प्रयोग कर सकते है। अब हम आपको बताएंगे की कौन कौन सी आयुर्वेदिक दवाइयों को आपको किडनी की बीमारी के समय लेना चाहिए
इसमे आयुर्वेदिक दवाएं जैसे की पुनर्नवा मंडूर, चन्द्रप्रभावटी, श्वेत पर्पटी, गिलोय सत्व, मुक्ता पिष्टी, मुक्तापंचमतामृत रस इत्यादि का सेवन आप डॉक्टर की देख रेख में ही ले। नियमित रूप से एलोवेरा, ज्वारे और गिलोय का जूस पिने से हिमोग्लोबिन बढ़ता है।
सीकेडी के लिए एक स्वस्थ डाइट की सलाह दी जाती है जैसे की
● अनाज, फल और सब्जियां शामिल हैं, लेकिन साबुत अनाज और कुछ फलों और सब्जियों को सीमित करना या उनसे बचना जो फास्फोरस या पोटेशियम में हाई हैं
● एक डाइट जो फैट और कोलेस्ट्रॉल में कम है यदि आपको डायबिटीज या दिल की बीमारी है
● सोडियम में अधिक वाले फ़ूड प्रोडक्ट का सेवन सीमित करें और कम नमक या कम सोडियम वाले फ़ूड प्रोडक्ट का सेवन करे
● लिमिटेड कैलोरी का सेवन करे और स्वस्थ बनाये रखे।
● यदि आवश्यक हो तो कैल्शियम का सेवन कम करना
● तरल पदार्थो का सेवन सीमित करे
● डाइट में प्रोटीन का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ले।
● विटामिन सी को 100 मिलीग्राम तक सीमित रखे
● डॉक्टर की सलाह पर विटामिन डी और आयरन का सेवन करे
अब हम आपको आयुर्वेद से जुडी कुछ ऐसी जरुरी जड़ी बूटियों के बारे में विस्तार से बताएंगे जिनके सेवन से आपको किडनी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत नहीं पड़ेगी और आप किडनी की समस्या से भी निदान पा सकेंगे।
1. मुक्तापंचमतामृत MUTRAKRICHANTAK CHURNA
यह जड़ी बूटी किडनी फेलियर, किडनी की पथरी, नेफ्रोटिक सिंड्रोम, नेफ्रैटिस, मूत्र पथ के संक्रमण, डायलिसिस के इलाज में काफी फयदेमंद साबित होती है इसका सेवन आप 1 चम्मच गुनगुने पानी के बाद भोजन के साथ दिन में दो बार ले सकते है।
2. पुनर्नवा मंडूर PUNARNAVA MANDUR
यह जड़ी बूटी किडनी फेलियर के इलाज के लिए रामबाण इलाज है क्योंकि यह ब्लड में छुपे अपशिष्ट पदार्थ को अलग करता है और यही नहीं यह आपकी बॉडी में ब्लड की शुद्धता को भी अच्छा बनाती है। इस जड़ी बूटी की 2 गोलियाँ आप भोजन के बाद सादे पानी के साथ हर दिन ले।
3. चन्द्रप्रभावटी
यह जड़ी आपकी किडनी फेलियर के साथ साथ यूरिन इन्फेक्शन को भी खत्म करता है। इसका सेवन आप 2 गोलियाँ, भोजन के बाद सादे पानी के साथ दिन में कर सकते है।
किडनी शरीर का अहम भाग है जिसकी देखभाल करना बेहद जरूरी है इसलिए अगर आपको हमारा ब्लॉग पसंद आया तो आप अपने दोस्तों के साथ इसे साझा कीजिये और इस ब्लॉग को लाइक करे।
अगर आप किडनी की बीमारी से ग्रस्त है तो आप अपनी डाइट का ध्यान रखे साथ ही हमारी बताई गई आयुर्वेदिक दवाइयों को किडनी के डॉक्टर की निगरानी में ही ले
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